“राम तुम्हारा चरित्र स्वयं काव्य हैं”
अन्तरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी
भारत, जर्मनी, रूस का संयुक्त प्रयास, अंतरराष्ट्रीय
शोध-पत्रिका “शोध-ऋतु”
द्वारा आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी “राम तुम्हारा चरित्र स्वयं काव्य हैं..” डॉ.सुनील
जाधव के यू टूबे के आभासी मंच पर सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ | इस वक्त आभासी मंच पर
बिहार पूसा से बिजवक्ता प्रो.डॉ.नवल किशोर चौधरी, अतिथि
वक्ता जर्मनी से प्रो.डॉ.रामप्रसाद भट्ट, रूस से
प्रो.डॉ.मक्सिम देम्चेनको (रामचन्द्र), अध्यक्ष रूप में
दिल्ली से प्रो.डॉ.हरीश अरोड़ा तथा शोध-ऋतु प्रतीक के सम्पादक एवं ई-संगोष्ठी के संयोजक
डॉ.सुनील जाधव विराजमान थे |
कार्यक्रम का आरम्भ तुलसीदास के चौपाई से हुआ | तो
भूमिका डॉ.सुनील जाधव ने रखी |
भूमिका :- साकेत महाकव्य के मंगलाचरण में मैथिलशरण गुप्त ने लिखा-
राम तुम्हारा चरित्र स्वयं काव्य हैं |कोई कवि बन जायें सहज सम्भाव्य हैं ||
जिसने भी मर्यादा पुरुषोत्तम “राम” का चरित्र
पढ़ा, सुना या देखा | वह चरित्रवान बन
गया या कवि-महाकवि बन गया | “राम” का
नाम पारस के समान हैं | जिसने भी इसे स्पर्श किया वह कालजयी
बन गया | वाल्मीकि ने राम का चरित्र देखा, सुना और राम के चरित्र कथा पर संस्कृत में विश्व का पहला महाकाव्य “रामायण” लिख दिया | और कालजयी
बन गये | तुलसीदास ने जनभाषा अवधि में महाकाव्य “रामचरितमानस” लिखा और जनप्रिय महाकवि बन गये |
केशवदास ने “रामचन्द्रिका” तो मैथिलीशरण गुप्त ने “साकेत” महाकाव्य लिख दिया | प्रेमचन्द्र ने १९२८ में उर्दू
में “रामचर्चा” नामक रामकथा लिखी |
निराला ने जब राम को देखा तो “राम की शक्ति
पूजा” लिख दी | और कालजयी बन गये |
राम का
चरित्र ही कुछ ऐसा है कि वह सभी जाति-धर्म,
सम्प्रदाय, प्रान्त, देश
के लिए आदर्श और अनुकरणीय हैं | राम के चरित्र कथा में केवल
राम ही नहीं बल्कि राम से जुड़े हुए सभी पात्र समस्त विश्व के लिए सदा आदर्श और
अनुकरणीय हैं | यही कारण है कि देश और विदेश में राम के
चरित्र को लेकर तीन सौ से भी अधिक कथाओं का सृजन किया गया हैं | यदि लोक रामायण की कथा को इसमें जोड़ दिया जायें तो इसकी संख्यां कई अधिक
बन जायेगी | राम प्रत्येक व्यक्ति, समाज,
प्रान्त, देश के लिए अनुकरणीय एवं आदर्श होने
के कारण इंडोनेशिया, थाईलेंड, व्हियेतनाम,
कम्बोडिया, म्यानमार, मोरिशियस,
श्रीलंका, नेपाल, भारत,
सूरीनाम, चीन आदि कई देशों में रामायण दीखाई
देती हैं |
बीजवक्ता (प्रो.डॉ.नवल किशोर चौधरी, बिहार) :-
वाल्मीकि के
पूर्व ही राम की कथा जनश्रुति, आख्यानों, रुग्वेद में विराजमान थी | नारद ने ही
वाल्मीकि को लोकनायक राम के बारें में बताया था | राम का जीवन किस प्रकार से
मनुष्य के जीवन में उतरता हैं | संस्कृत से लेकर हिंदी साहित्य के रामकथा को
श्लोक, पदों, पंक्तियों के माध्यम से अभिव्यक्त किया हैं | राम केवल आध्यात्मिक
नहीं बल्कि वे हमारी संस्कृति, इतिहास और चेतना के जागृत स्वरूप हैं | राम सीमा और
काल से परें हैं | राम के चरित्र में शील, शक्ति सौन्दर्य का समन्वय हैं | राम का
सम्पूर्ण जीवन लोकमंगल के लिए हैं |
अतिथि वक्ता (राम प्रसाद भट्ट,जर्मनी) :-
विभिन्न देशों के रामकथा को ससन्दर्भ उल्लेख करते हुए
जर्मन भाषा में हुए अनुदित रामायण का के बारें में बताया | रामकाव्य का सूक्ष्म अध्ययन पर वक्तव्य
रखते हुए कहा कि राम का सम्पूर्ण जीवन आपदाओं से भरा हुआ हैं | साथ ही राम के सुख-दुःख, निरशा-पीड़ा, प्रतिकूल संघर्षपूर्ण स्थिति में भी शांत-प्रसन्न रहनेवाले चारित्रिक
विशेषता पर प्रकाश डाला | राम कभी क्रोध नहीं करते हैं | वे
अपने क्रोध को अपने भीतर ही रोक लेते हैं | राम एक मर्यादा हैं, आदर्श हैं, संयम
हैं यही उनका चरित्र हैं | समाज ऐसे ही चरित्र को अपनाता हैं |
अतिथि वक्ता (प्रो.डॉ.मक्सिम, रूस):-
रूस
में रामकथा का स्वरूप बताते हुए कहा कि रूस में रामकथा का अनुवाद हुआ हैं | यहाँ
छह महीने में रामलीला भी प्रस्तुत की जाती हैं | राम मेरे लिए जीवन शैली हैं | मैं
नित्य प्रति रामचरितमानस का पाठ करता हूँ | वे केवल रामकथा से प्रभावित नहीं बल्कि
उसे अपने रोज के जीवन में भी अपनाते हैं | उन्होंने अपना नाम भी रामचन्द्र रखा हैं
| साथ ही राम के प्रति समर्पित होकर कई हिंदी और अवधि भाषा में स्व रचित कविताओं
को भी सुनाया |
अध्यक्षीय समारोप (हरीश आरोड़ा, दिल्ली)
राम का सम्बन्ध किसी एक भाषा या धर्म से नहीं हैं बल्कि
उनका सम्बन्ध प्रत्येक देश की भाषा और धर्म से हैं | राम कथा पारसी,उर्दू,अरबी हिंदी में लिखा गया हैं | विभिन्न देशों के
शहरों एवं व्यक्तियों के नाम राम के जीवन से जुड़े हुए हैं | मिश्र
जैसे देश में व्यक्ति के नाम के पीछे राम का नाम जुडा हुआ दिखाई देगा | इण्डोनेशिया जैसे देश राम के
जीवन के आदर्श को मानकर उसे अपनाकर चलते हैं | “ कई देशों के
साथ भारत में कई भाषाओँ में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि विधाओं में राम कथा लिखी गई हैं |
भारतीय समाज में जो चेतना हैं, वह हमारे जीवन
चेतना से निकलने वाले मूल्य हैं | केवल भारतीय नहीं बल्कि
विदेश के कई विद्वान इस चेतना को अपने समाज में उतारना चाहते हैं | रामकथा जन-जन में व्याप्त हैं | रामत्व ही रामकथा का
निर्माण करता हैं | राम भारतीय संस्कृति के सबसे बड़े संवाहक
हैं | वे हमारे साथ मानव के रूप में रहनेवाले हैं |
अंत में ई-संगोष्ठी के संयोजक डॉ.सुनील जाधव ने धन्यवाद
ज्ञापन किया |
संयोजक-डॉ.सुनील
जाधव
सम्पादक-शोध-ऋतु
(शोध-पत्रिका)
mo.9405384672
कार्यक्रम की
यू टूबे लिंक :- https://youtu.be/-Zg7ovzBnuo
अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार-०८/०६/२०२०, समय-२:००
भारत, मॉरिशियस, उज्बेकिस्तान, श्रीलंका, बुदापेस्ट का संयुक्त उपक्रम
‘शोध-ऋतु’ अंतर्राष्ट्रीय शोध-पत्रिका,नांदेड़(भारत) www.shodhritu.com एवं
ताश्कंद सरकारी प्राच्य विद्या विश्वविद्यालय,ताश्कंद (उज्बेकिस्तान)
के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय वेबीनार
विषय:-देश-प्रदेश में शिक्षा और साहित्य
अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार-०८/०६/२०२०, समय-२:००
पंजीकरण लिंक :-
https://forms.gle/vMabFmqV7mvc6kZS8
टेलीग्राम ज्वाइन :-
https://t.me/joinchat/PC16ohxe_osbtsQNgQb9kg
स्थान फेसबुक लाइव लिंक
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