मनुष्य, शोध और प्रगति
मनुष्य के विकास और प्रगति के लिए शोध
एक अनिवार्य प्रक्रिया है। जन्मकाल से लेकर आज तक, वह विभिन्न क्षेत्रों में शोध करता आया है और
भविष्य में भी करता रहेगा। शोध न केवल ज्ञान-विस्तार का साधन है,
बल्कि यह मानव जीवन के सतत विकास का प्रमाण भी है। शोध की बदौलत ही आज मनुष्य ने ब्रह्माण्ड को नापने की क्षमता प्राप्त की
है। यदि वह शोध नहीं करेगा, तो उसकी प्रगति रुक जाएगी,
क्योंकि मनुष्य स्वभाव से प्रगतिशील और संवेदनशील प्राणी है।
अपने सर्वांगीण विकास के लिए शोध करना उसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति है।
शोध के माध्यम से मनुष्य ने विज्ञान, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी,
समाजशास्त्र, भाषा एवं साहित्य जैसे अनेक
क्षेत्रों में क्रांतिकारी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। किसी भी समाज की उन्नति उसकी
शोध प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। जब मनुष्य नए विचारों, सिद्धांतों और तथ्यों की खोज करता है, तो यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि संपूर्ण मानव सभ्यता के लिए भी
लाभदायक होता है। आधुनिक युग में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता,
जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अनुसंधान और
जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर हो रहे शोध कार्य, भविष्य
के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
शिक्षा, संस्कृति और शोध
शिक्षा,
संस्कृति, साहित्य और समाज का आपस में अटूट
संबंध है। वर्तमान समय में, शिक्षा के क्षेत्र में अनेक
विषयों पर शोध कार्य किए जा रहे हैं, जो आने वाली पीढ़ी
के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो रहे हैं। शोध केवल अकादमिक विकास तक सीमित नहीं है,
बल्कि यह सामाजिक एवं सांस्कृतिक उन्नति का भी आधार है। किसी भी
राष्ट्र की प्रगति उसकी शोध और नवाचार क्षमता पर निर्भर करती है।
"शोध-ऋतु" पत्रिका इस दिशा में शोधार्थियों
के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करती है, जहाँ वे अपने
विचारों और निष्कर्षों को प्रस्तुत कर सकते हैं। पत्रिका का उद्देश्य न केवल
शोधकर्ताओं को मंच देना है, बल्कि उनकी कृतियों को एक वैज्ञानिक
और अकादमिक संदर्भ में प्रस्तुत करना भी है।
इस पत्रिका के माध्यम से,
शोधार्थी विभिन्न विषयों पर गहन अध्ययन कर अपने निष्कर्ष प्रस्तुत
कर सकते हैं, जिससे भविष्य के शोधों को दिशा मिल सके।
पत्रिका में गुणवत्तापूर्ण और मौलिक शोध आलेखों का प्रकाशन किया जाता है,
जिससे शोध के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया जा सके।
इसी कारणवश, "शोध-ऋतु" पत्रिका शोध छात्रों एवं
अध्यापकों की पहली पसंद बनती जा रही है।
शोध-पत्र जमा करने की प्रक्रिया
- प्रविष्टियां
जमा करने की तिथि:
हर महीने की 26 तारीख।
- ऑनलाइन
प्रकाशन तिथि: हर
महीने की 30 तारीख।
- प्रिंट
जर्नल स्पीड पोस्ट तिथि:
हर महीने की 10 तारीख।
स्वीकृत भाषाएं और विषय
- भाषा: कोई भी भाषा स्वीकार्य।
- विषय: कोई भी विषय स्वीकार्य।
शोध-पत्र प्रारूप एवं प्रस्तुति
- शब्द
सीमा: 1000 से 2500
शब्द।
- स्वीकृत
फ़ाइल प्रारूप: Microsoft Word (.doc या .docx)।
- फ़ॉन्ट
और आकार: कोई भी फ़ॉन्ट स्वीकार्य।
प्रकाशन शुल्क
- एकल
लेखक: ₹1000
- प्रत्येक
अतिरिक्त लेखक: ₹500 प्रति
सह-लेखक।
भुगतान विधियां
- PhonePe, Google Pay, Paytm नंबर:
9405384672
खाता विवरण:
- नाम: SUNIL GULABSING JADHAV
- खाता
संख्या: 2015
8925 290
- बैंक: Bank of Maharashtra, NANDED
- IFSC CODE: MAHB0000720
- PayPal उपलब्ध
📌 छूट: आर्थिक रूप
से कमजोर छात्रों को ₹100 तक की छूट दी जा सकती है (नियम एवं
शर्तें लागू)।
सबमिशन और संपर्क विवरण
- सबमिशन
लिंक: [shodhrityu78@yahoo.com]
- ईमेल: shodhrityu78@yahoo.com
प्रकाशन की गुणवत्ता और नैतिकता
- समीक्षा
प्रक्रिया: सभी
शोध-पत्रों को एक पारदर्शी पीयर-रिव्यू प्रक्रिया से गुजरना होगा।
- मौलिकता
की पुष्टि: सभी
पांडुलिपियों को प्लेज़रिज्म (सामग्री चोरी) जाँच प्रक्रिया से गुजरना
होगा।
- AI-जनित सामग्री
नीति: यदि AI टूल्स का उपयोग किया गया है, तो लेखक को इसे स्पष्ट रूप से घोषित करना होगा।
अस्वीकरण एवं नीति उल्लंघन पर
कार्रवाई
- किसी
भी अनैतिक अनुसंधान, प्लेज़रिज्म,
या नीति उल्लंघन की स्थिति में पत्रिका को शोध-पत्र को अस्वीकार
करने या प्रकाशन के बाद वापस लेने (Retraction) का अधिकार होगा।
- भविष्य
में ऐसे लेखकों के शोध-पत्रों को अस्वीकार किया जा सकता है।
"शोध-ऋतु" पत्रिका उच्च गुणवत्ता वाले शोध को बढ़ावा देने और उसके प्रकाशन के लिए प्रतिबद्ध है। सभी लेखक, समीक्षक और संपादक इस नीति का पालन करने के लिए बाध्य हों
Refereed Journal क्या होता है?
Refereed Journal (जिसे Peer-Reviewed Journal भी कहा जाता है) एक ऐसा अकादमिक या शोध-पत्रिका (journal) होता है जिसमें प्रकाशित होने वाले लेखों (articles) को विशेषज्ञों (experts) द्वारा जांचा और मूल्यांकित किया जाता है। यह प्रक्रिया लेख की गुणवत्ता, मौलिकता, प्रासंगिकता और वैज्ञानिकता को सुनिश्चित करती है।
🔍 Refereed Journal क्या होता है?
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Refereed का मतलब है कि किसी लेख को छापने से पहले दो या अधिक विषय विशेषज्ञ (peer reviewers) उसे गोपनीय रूप से पढ़ते हैं।
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वे यह जांचते हैं कि:
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लेख मौलिक (original) है या नहीं
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शोध का तरीका (methodology) सही है या नहीं
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निष्कर्ष (conclusion) उचित और तार्किक हैं या नहीं
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विषय की समझ और संदर्भों (citations) का ठीक से प्रयोग किया गया है या नहीं
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यदि लेख इन मानकों पर खरा उतरता है, तो उसे प्रकाशन (publication) के लिए स्वीकार किया जाता है।
📋 इसे कौन Refereed घोषित करता है?
Refereed होने की प्रक्रिया को कोई एक संस्था "घोषित" नहीं करती, बल्कि यह जर्नल के संपादकीय बोर्ड और रिव्यू प्रोसेस पर आधारित होती है।
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"Referred" और "refereed" जर्नल के बीच कोई वास्तविक अंतर नहीं है। ये दोनों शब्द पीयर-रिव्यूड (peer-reviewed) जर्नलों को संदर्भित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
एक पीयर-रिव्यूड जर्नल वह होता है जिसमें प्रकाशन से पहले लेखों की गुणवत्ता और वैधता का आकलन करने के लिए उसी क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा की जाती है। इस प्रक्रिया को पीयर रिव्यू (peer review) या रेफरीइंग (refereeing) कहा जाता है।
इसलिए, जब आप "रेफर्ड जर्नल" या "रेफ्रीड जर्नल" सुनते हैं, तो इसका मतलब है कि उस जर्नल में प्रकाशित लेखों को विषय विशेषज्ञों द्वारा कठोर समीक्षा प्रक्रिया से गुजारा गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे उच्च गुणवत्ता वाले, सटीक और विद्वतापूर्ण हैं।
संक्षेप में:
- रेफर्ड जर्नल (Referred Journal) = रेफ्रीड जर्नल (Refereed Journal) = पीयर-रिव्यूड जर्नल (Peer-Reviewed Journal)
ये सभी शब्द एक ही प्रकार के अकादमिक जर्नल को दर्शाते हैं जहाँ लेखों की गुणवत्ता को बाहरी विशेषज्ञों द्वारा जांचा जाता है।